शामें गुजरती रहीं, दिन ढलते रहे।। महीने बीतते गये और साल बदलते रहे।। "वापिस आउंगी मैं" कहकर गयी थी वो कुछ बरस पहले।। और हम ठहरे नासमझ, उनका बेसब्री से इंतज़ार करते रहे।। #NojotoQuote