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कनवास पर उकेरे मैंने रंग हज़ार। लाल, गुलाबी, नीले

 कनवास पर उकेरे मैंने रंग हज़ार।
लाल, गुलाबी, नीले और बसंती बहार।
पर ना उकेर पाई अपनी भावनाएं,
जिसमें भरा था दर्द बेशुमार।
सभी को नज़र आया सिर्फ वही रंग ,
जो खुशी से था सराबोर।
मेरे दुःख, पीड़ा का ना मिला,
उन्हें कुछ भी छोर।

रश्मि वत्स।

©Rashmi Vats
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