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ना था कुछ तो खुदा था, कुछ ना होता तो खुदा होता डुब

ना था कुछ तो खुदा था, कुछ ना होता तो खुदा होता
डुबोया मुझको होने ने, ना मैं होता तो क्या होता

हुआ जब गम से यूँ बे-हिस तो क्या गम सर कटने का
न होता सर जुड़ा तन से, तो जानू पर धरा होता

हुई मुद्दत की "गालिब" मर गया और याद आता है
वो हर बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता
-मिर्ज़ा ग़ालिब





















.

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#classicpoet #poems #poets #gaalib  #MirzaGhalib  #shayari #urdupoems #poetryworld #mirzagalib  #sadpoems
ना था कुछ तो खुदा था, कुछ ना होता तो खुदा होता
डुबोया मुझको होने ने, ना मैं होता तो क्या होता

हुआ जब गम से यूँ बे-हिस तो क्या गम सर कटने का
न होता सर जुड़ा तन से, तो जानू पर धरा होता

हुई मुद्दत की "गालिब" मर गया और याद आता है
वो हर बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता
-मिर्ज़ा ग़ालिब





















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