ना था कुछ तो खुदा था, कुछ ना होता तो खुदा होता डुबोया मुझको होने ने, ना मैं होता तो क्या होता हुआ जब गम से यूँ बे-हिस तो क्या गम सर कटने का न होता सर जुड़ा तन से, तो जानू पर धरा होता हुई मुद्दत की "गालिब" मर गया और याद आता है वो हर बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता -मिर्ज़ा ग़ालिब . ©Ritesh Shrivastava Hope you like it If Yes, then Like, Comment & Share #classicpoet #poems #poets #gaalib #MirzaGhalib #shayari #urdupoems #poetryworld #mirzagalib #sadpoems