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हां नयी कोई यहां पर बात..कोई क्या हुई जब तलक न नय

हां नयी कोई यहां पर बात..कोई क्या हुई 
जब तलक न नयन मूँदा रात.. कोई क्या हुई 

रात कटते पेड़ थोड़े झाड़ और झंखाड़ संग 
रोते पशुवों की समस्या ज्ञात.. कोई क्या हुई 

निर्जीव वन को मार दो निज प्रेम का उपहार दो 
मृत्यु से बढ़कर भला सौगात..कोई क्या हुई 

अधकटे खड़े बदन हैं अग्नि को व्याकुल सभी 
रात में प्रकृति का जलना घात..कोई क्या हुई 

ले कुल्हाड़ी काट डाला उसके ही परिवार को 
मूल्य प्रगति का भरा और बात..कोई क्या हुई  

दीपक सिसोदिया #आरे
हां नयी कोई यहां पर बात..कोई क्या हुई 
जब तलक न नयन मूँदा रात.. कोई क्या हुई 

रात कटते पेड़ थोड़े झाड़ और झंखाड़ संग 
रोते पशुवों की समस्या ज्ञात.. कोई क्या हुई 

निर्जीव वन को मार दो निज प्रेम का उपहार दो 
मृत्यु से बढ़कर भला सौगात..कोई क्या हुई 

अधकटे खड़े बदन हैं अग्नि को व्याकुल सभी 
रात में प्रकृति का जलना घात..कोई क्या हुई 

ले कुल्हाड़ी काट डाला उसके ही परिवार को 
मूल्य प्रगति का भरा और बात..कोई क्या हुई  

दीपक सिसोदिया #आरे