तहज़ीब की पहचान कभी जो कोठे हुआ करते थे, घुंघरूओं की छनक जहां सुरों में बहती थी आज जिस्म फरोशी के अड्डे है, क्योंकि दुनिया में अब कद्रदान नहीं है... #तवायफ के कौठे तहजीब की पाठशाला से कैसे बने जिस्म फरोशी के अड्डे... पेशा तवायफ का बुरा ना था जब दौर गालिब मीर का था, अब दौर कुछ और है जहां कद्रदान नहीं है... #yqbaba #yqshayari #sach #truth #like #follow #tarunvijभारतीय