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प्रेम मिलन में बड़ा सरल है विरह प्रेम की व्यथा है

प्रेम मिलन में बड़ा सरल है
 विरह प्रेम की व्यथा है अपनी
 मिलन की अपनी शीतलता है 
इधर जलाए विरह की अग्नि 
रातें बीती कुछ बाहों में
 कुछ बीती तारों के संग
 कभी मिलन है इंद्रधनुष सा
 कभी विरह के फीके रंग

©Ashish Singh Negi
  #ASN