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इसे भक्ति की धारा कहूँ या मस्ती की धारा। कोई इससे

इसे भक्ति की धारा कहूँ या 
मस्ती की धारा।
कोई इससे बाहर,
आना ही नहीं चाहता।
और हाल ऐसा है कि..
डूबने वालों को मैंने,
जब दिया साहिल पे हाथ,
वो भी मुझको डूबने का,
मशविरा देने लगे।।
✍जगद्गुरु कृपालुजी महाराज✍

©Jitendra Singh #अहा!साँवरे
इसे भक्ति की धारा कहूँ या 
मस्ती की धारा।
कोई इससे बाहर,
आना ही नहीं चाहता।
और हाल ऐसा है कि..
डूबने वालों को मैंने,
जब दिया साहिल पे हाथ,
वो भी मुझको डूबने का,
मशविरा देने लगे।।
✍जगद्गुरु कृपालुजी महाराज✍

©Jitendra Singh #अहा!साँवरे