यूँ तो उन्हें ज़्यादा हॅसने कि आदत नहीं थी, पर मेरी किसी नादानी से जब उनके चेहरे पर हलकी सी मुस्कान आ जाती थी, वो मुस्कान वो चेहरा आज भी याद आता है लाख समझाया इस दिल को मैंने, वो हैं नहीं अब साथ तेरे पर ये दिल समझना कहाँ चाहता है काश मिल जाती मोहलत दो पल कि फिर से उस चेहरे को देखने की, हर बार ज़ेहन मे यही ख्याल आता है पिता के साये के बिना जीना नामुमकिन नहीं मे मानती हूँ, मगर जिया कहाँ जाता है... _urja joshi #father#fatherslove Miss u papa ❤️❤️