तू भ्रम का पडदा खोल दे खुद को पहले पहचानले इस धरतीका तू मुलनिवासी कहतें है तुझे आदिवासी किसका छल हे यह वनवासी? तू सच्चा भारतवासी खुदको पहलें पहचानले देव धर्म का बढा है मेला जिसका पैसा उसका है खेला पाच पचीस में बीक रहा चेला सच्ची मानवता पहचानले खुद को पहलें पहचानले - कवी संतोष पावरा तू भ्रम का पडदा खोल दे (कवी संतोष पावरा)