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इंसान वहीं जिद् करता है जहाँ उसका मन होता है,क्यों

इंसान वहीं जिद् करता है जहाँ उसका मन होता है,क्योंकि उसे पता है उसे उससे ख़ुशी मिलेगी...उसे भरोषा होता है कि जिद पूरी होगी। 
और कभी जिद् पूरी न होने पर वो मन, वो अल्फाज सब खत्म भी हो जाया करता है।।

©~Bhavi इंसान वहीं जिद् करता है जहाँ उसका मन होता है,क्योंकि उसे पता है उसे उससे ख़ुशी मिलेगी...उसे भरोषा होता है कि जिद पूरी होगी। 
और कभी जिद् पूरी न होने पर वो मन, वो अल्फाज सब खत्म भी हो जाया करता है।।
#Love मanjeet Raणा MyWorz Gian munkan wala Dayal "दीप, Goswami.. babu love (ps)
इंसान वहीं जिद् करता है जहाँ उसका मन होता है,क्योंकि उसे पता है उसे उससे ख़ुशी मिलेगी...उसे भरोषा होता है कि जिद पूरी होगी। 
और कभी जिद् पूरी न होने पर वो मन, वो अल्फाज सब खत्म भी हो जाया करता है।।

©~Bhavi इंसान वहीं जिद् करता है जहाँ उसका मन होता है,क्योंकि उसे पता है उसे उससे ख़ुशी मिलेगी...उसे भरोषा होता है कि जिद पूरी होगी। 
और कभी जिद् पूरी न होने पर वो मन, वो अल्फाज सब खत्म भी हो जाया करता है।।
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anshulgupta6972

~Bhavi

Bronze Star
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इंसान वहीं जिद् करता है जहाँ उसका मन होता है,क्योंकि उसे पता है उसे उससे ख़ुशी मिलेगी...उसे भरोषा होता है कि जिद पूरी होगी। और कभी जिद् पूरी न होने पर वो मन, वो अल्फाज सब खत्म भी हो जाया करता है।। Love @मanjeet Raणा MyWorz Gian munkan wala @Dayal "दीप, Goswami.. @babu love (ps) #Life