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दीवाना कैसे देखूँ लू आँखो में उस पगली के आँखो में

दीवाना  कैसे देखूँ लू आँखो में उस पगली के आँखो में आनसु
जो हर बार मेरे  आँसू के खातिर दुपट्टा अपना बढाती है, 
मेरी खातिर  वो पागल लडकी सोलह सोमवार व्रत भी रह जाती है, 
कुछ न कहने पर भी मेरे दिल की बात समझ जाती है, 
मेरी हर तकलीफो में मेरा साथ निभाती है
कैसे तोड़ दू यारो में उसका भरोसा, जो मुझे अपना खुदा बताती है
दरमियाँ मेरे ना कोई ख्वाहिश जाहिर करती है
तोहफे मे सिर्फ मेरा प्यार मांगा करती है
खुद तो पागल, छिपकली  और कॉकरोच से डरती है
पर खातिर मेरे, सारे जमाने से लड़ने की ताकत रखती है
कैसे देख लू, आंसू  मे उस पागल लडकी की आँखो मे
जो अपनी हर खुशी, मेरे गमो पर कुर्बान करती है
हाँ यारो मेरी मोहब्बत एक पागल सी लडकी है
...... #जलज राठौर
#72 Hours कैसे देखूँ लू आँखो में उस पगली के आँखो में आनसु
जो हर बार मेरे  आँसू के खातिर दुपट्टा अपना बढाती है, 
मेरी खातिर  वो पागल लडकी सोलह सोमवार व्रत भी रह जाती है, 
कुछ न कहने पर भी मेरे दिल की बात समझ जाती है, 
मेरी हर तकलीफो में मेरा साथ निभाती है
कैसे तोड़ दू यारो में उसका भरोसा, जो मुझे अपना खुदा बताती है
दरमियाँ मेरे ना कोई ख्वाहिश जाहिर करती है
तोहफे मे सिर्फ मेरा प्यार मांगा करती है
दीवाना  कैसे देखूँ लू आँखो में उस पगली के आँखो में आनसु
जो हर बार मेरे  आँसू के खातिर दुपट्टा अपना बढाती है, 
मेरी खातिर  वो पागल लडकी सोलह सोमवार व्रत भी रह जाती है, 
कुछ न कहने पर भी मेरे दिल की बात समझ जाती है, 
मेरी हर तकलीफो में मेरा साथ निभाती है
कैसे तोड़ दू यारो में उसका भरोसा, जो मुझे अपना खुदा बताती है
दरमियाँ मेरे ना कोई ख्वाहिश जाहिर करती है
तोहफे मे सिर्फ मेरा प्यार मांगा करती है
खुद तो पागल, छिपकली  और कॉकरोच से डरती है
पर खातिर मेरे, सारे जमाने से लड़ने की ताकत रखती है
कैसे देख लू, आंसू  मे उस पागल लडकी की आँखो मे
जो अपनी हर खुशी, मेरे गमो पर कुर्बान करती है
हाँ यारो मेरी मोहब्बत एक पागल सी लडकी है
...... #जलज राठौर
#72 Hours कैसे देखूँ लू आँखो में उस पगली के आँखो में आनसु
जो हर बार मेरे  आँसू के खातिर दुपट्टा अपना बढाती है, 
मेरी खातिर  वो पागल लडकी सोलह सोमवार व्रत भी रह जाती है, 
कुछ न कहने पर भी मेरे दिल की बात समझ जाती है, 
मेरी हर तकलीफो में मेरा साथ निभाती है
कैसे तोड़ दू यारो में उसका भरोसा, जो मुझे अपना खुदा बताती है
दरमियाँ मेरे ना कोई ख्वाहिश जाहिर करती है
तोहफे मे सिर्फ मेरा प्यार मांगा करती है

कैसे देखूँ लू आँखो में उस पगली के आँखो में आनसु जो हर बार मेरे आँसू के खातिर दुपट्टा अपना बढाती है, मेरी खातिर वो पागल लडकी सोलह सोमवार व्रत भी रह जाती है, कुछ न कहने पर भी मेरे दिल की बात समझ जाती है, मेरी हर तकलीफो में मेरा साथ निभाती है कैसे तोड़ दू यारो में उसका भरोसा, जो मुझे अपना खुदा बताती है दरमियाँ मेरे ना कोई ख्वाहिश जाहिर करती है तोहफे मे सिर्फ मेरा प्यार मांगा करती है #कविता #जलज