कैसे देखूँ लू आँखो में उस पगली के आँखो में आनसु
जो हर बार मेरे आँसू के खातिर दुपट्टा अपना बढाती है,
मेरी खातिर वो पागल लडकी सोलह सोमवार व्रत भी रह जाती है,
कुछ न कहने पर भी मेरे दिल की बात समझ जाती है,
मेरी हर तकलीफो में मेरा साथ निभाती है
कैसे तोड़ दू यारो में उसका भरोसा, जो मुझे अपना खुदा बताती है
दरमियाँ मेरे ना कोई ख्वाहिश जाहिर करती है
तोहफे मे सिर्फ मेरा प्यार मांगा करती है #कविता#जलज