मधुमय ज्वाला लिखूं या अमानिशा में उदित चांद "कवि" तुम्हारा खड़ा द्वंद्व में, हाथ में लेखनी थाम विषय तेरे सौंदर्य के बड़े दुर्गम , बड़े कठिन ठहरे दिन-रैन पढ़ते रहते नैन, न करते इक पल भी विश्राम ! लौह सा दृढ़ था अन्तस तुम्हारे दीदार से पहले निगाहें तुम पर पड़ते ही, हुआ चुटकियों में भाप है ये अपनी कौनसी मंदाकिनी में बहाये ले जा रहे हो मुझे मैं कण-कण सा बिखर रहा या मुझमें कण-कण की पदचाप है ! अमानिशा- अमावस्या की रात Best YQ Hindi Quotes #yqbaba #yqdidi #love #life #special