Unsplash कहाँ जाएं अब हम शहर छोड़ कर के, समंदर हैं,ग़म की लहर छोड़ कर के, किरदार होना था,जिनका मणि सा, वही ताज पहने,जहर छोड़ कर के, चलो क्यों है रूठा,मना लें उसे भी, न जाएं पड़ोसी घर छोड़ कर के, नहीं अब वो मौसम में जिंदादिली है, परिंदे दुखी हैं,शजर छोड़ कर के, कहाँ जाएंगे ये कदम आदमी के, नफ़रत के चलते,सफ़र छोड़ कर के, #विश्वा ©broken heart(analystprakram) #camping sad status sad shayari