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प्रिय, कई बार तुमसे वह नहीं कह पाती जो , मैं कहना

प्रिय,
कई बार तुमसे वह नहीं कह पाती जो ,
मैं कहना चाहती हूँ। टाल देती हूँ बातों को, 
विषय ही बदल देती हूँ बातचीत का । 
टूटता हुआ तारा हर कोई देखता है, 
मगर वह गुम होता है अंतरिक्ष के 
किसी छोर में जहाँ दुःखों का अवसान होता है ।
प्रिय, प्रेम का प्रथम सोपान है समर्पण! 

#अनाम_ख़्याल 
#अनाम_प्रेम
#समर्पणप्रेम 
#प्रिये
प्रिय,
कई बार तुमसे वह नहीं कह पाती जो ,
मैं कहना चाहती हूँ। टाल देती हूँ बातों को, 
विषय ही बदल देती हूँ बातचीत का । 
टूटता हुआ तारा हर कोई देखता है, 
मगर वह गुम होता है अंतरिक्ष के 
किसी छोर में जहाँ दुःखों का अवसान होता है ।
प्रिय, प्रेम का प्रथम सोपान है समर्पण! 

#अनाम_ख़्याल 
#अनाम_प्रेम
#समर्पणप्रेम 
#प्रिये