ऐ दिल! सब गए छोड़कर, बाकी रह गए हो तुम, तुमसे ही हैं मेरी उम्मीदें, ज़िंदगी बन गए हो तुम। तुम्हें रहा ऐतबार, जो अपना है कहीं नहीं जाएगा, तुम्हारे इस एहसास से,और पास आ गए हो तुम। तुमसे सीखा कल की फ़िक्र छोड़ आज में जीना, मेरी साँस-साँस में,बनकर सबर घुल गए हो तुम। कोई भी आये-जाये, हमें हम-सा ही रहना होगा, ख़्वाबों, ख़यालों में सादगी से, सँवर गए हो तुम। एक दिन जाना ही है उन्हें, जो हमारे नहीं 'धुन', बात पते की समझा, हँसी से खिल गए हो तुम। ♥️ Challenge-502 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।