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लौट आओ कृष्ण फिर से इस धरा पर बिन तुम्हारे पाप हमक

लौट आओ कृष्ण फिर से इस धरा पर
बिन तुम्हारे पाप हमको हैं डराते ।

द्रोपदी के चीर पर संकट बड़े हैं
बिन किसी भी राह के अर्जुन खड़े हैं
गालियाँ देते हुए शिशुपाल कितने
रोज़ ही शासन की गद्दी पर चढ़े हैं

कंस लेता धार चोला साधुओं का
धूर्त के सब जाप हमको हैं डराते ।

खो रही हैं प्रेम की सब सभ्यताएं
अब नही कोई यहाँ बंशी बजाएं
राह तकती राधिका अब तक खड़ी है
गोपियों ने नीर से रच दी प्रथाएं

प्रेम का फिर स्वर सजा दो इस धरा पर
चीखते संताप हमको हैं डराते । श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर आईये हम सब मिलकर भगवान श्री कृष्ण का आह्वाहन करते हैं - 

लौट आओ कृष्ण फिर से इस धरा पर
बिन तुम्हारे पाप हमको हैं डराते

द्रोपदी के चीर पर संकट बड़े हैं
बिन किसी भी राह के अर्जुन खड़े हैं
गालियाँ देते हुए शिशुपाल कितने
लौट आओ कृष्ण फिर से इस धरा पर
बिन तुम्हारे पाप हमको हैं डराते ।

द्रोपदी के चीर पर संकट बड़े हैं
बिन किसी भी राह के अर्जुन खड़े हैं
गालियाँ देते हुए शिशुपाल कितने
रोज़ ही शासन की गद्दी पर चढ़े हैं

कंस लेता धार चोला साधुओं का
धूर्त के सब जाप हमको हैं डराते ।

खो रही हैं प्रेम की सब सभ्यताएं
अब नही कोई यहाँ बंशी बजाएं
राह तकती राधिका अब तक खड़ी है
गोपियों ने नीर से रच दी प्रथाएं

प्रेम का फिर स्वर सजा दो इस धरा पर
चीखते संताप हमको हैं डराते । श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर आईये हम सब मिलकर भगवान श्री कृष्ण का आह्वाहन करते हैं - 

लौट आओ कृष्ण फिर से इस धरा पर
बिन तुम्हारे पाप हमको हैं डराते

द्रोपदी के चीर पर संकट बड़े हैं
बिन किसी भी राह के अर्जुन खड़े हैं
गालियाँ देते हुए शिशुपाल कितने