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अग्रवाल समाज, शादियों में नापास !!! उच्च शिक्षा प

अग्रवाल समाज, शादियों में नापास !!!

उच्च शिक्षा पायी जा रही, अक्ल गंवाई जा रही !
हम अग्रवालों में शादियाँ, समय पर न हो पा रही !!
पढ़ने पढ़ाने में अभिभावक, पूरा ध्यान लगाते हैं !
बच्चे भी जी जान लुटा, सफलता जुटा ही लाते हैं !!

यहां तक सब ठीक ठाक, कमाई की भी कमी नहीं !
अफ़सोस शादी की बात, फिर भी क्यूँकर ज़मी नहीं !!
आज ही एक ग्रुप में, सैंकड़ों बायोडाटा देखे !
तीस की आयु से कम, इक्के-दुक्के ही दिखे !!

पढ़ाई लिखाई कमाई में, सभी एक से बढ़कर एक !
शक़्ल सूरत से भी सबके, इरादे दिख रहे हैं नेक !!
उम्र ल़डकियों की भी यहाँ, अमूमन तीस से ज्यादा !
कब शादी कब बच्चे होंगे, दिन दिन उम्र हो रही ज्यादा !!

शादी चाहती हर लड़की, पर उम्र लग जाती आत्मनिर्भरता में !
पुराने ढर्रे पे नहीं चलना, ये नक्की कर लेती बचपन में !!
मां दादी को देख देख के, मन में बस जाता है डर !
शादी बाद कहीं मिल न जाये, उसको भी ऐसा ही घर !!

घर घर में सास का रुतबा, बहुओं पर चला करता रहा !
कहीं कम तो कहीं ज्यादा, बहुओं का मन सिसकता रहा !!
यही सिर्फ़ यही कारण है, जिसकी जिम्मेदारी सास की है !
सास सताती है क्यूंकि, उसने सास की परीक्षा पास की है !!

खैर अब ये बदल रहा, ल़डकियां पैरों पर खड़ी है !
मुसीबत यही है कि अब शादी की उम्र निकल रही है !!
जल्द बाज़ी की तो शादियाँ नहीं टिकती है !
तलाक़ की तादाद भी दिन दिन बढ़ते दिखती है !!

वैचारिक मिलान करके, किये जाने चाहिये रिश्ते !
ऐसे ही रिश्ते सम्भवतः ता उम्र तक टिक सकते !!
समाज के कर्णधारों से हर मंच पर की कोशिश !
टिकाऊ रिश्ते जुड़ाने की दिखी न किसी में कशिश !!
नतीजतन सही उम्र में नहीं हो पा रही शादियाँ !
शिक्षा जुटाई अच्छी बात पर अक्ल को बेच खा लिया !!
-आवेश हिंदुस्तानी 02.04.2023

©Ashok Mangal #AaveshVaani 
#JanMannKiBaat 
#Agrawal 
#Agarwal
अग्रवाल समाज, शादियों में नापास !!!

उच्च शिक्षा पायी जा रही, अक्ल गंवाई जा रही !
हम अग्रवालों में शादियाँ, समय पर न हो पा रही !!
पढ़ने पढ़ाने में अभिभावक, पूरा ध्यान लगाते हैं !
बच्चे भी जी जान लुटा, सफलता जुटा ही लाते हैं !!

यहां तक सब ठीक ठाक, कमाई की भी कमी नहीं !
अफ़सोस शादी की बात, फिर भी क्यूँकर ज़मी नहीं !!
आज ही एक ग्रुप में, सैंकड़ों बायोडाटा देखे !
तीस की आयु से कम, इक्के-दुक्के ही दिखे !!

पढ़ाई लिखाई कमाई में, सभी एक से बढ़कर एक !
शक़्ल सूरत से भी सबके, इरादे दिख रहे हैं नेक !!
उम्र ल़डकियों की भी यहाँ, अमूमन तीस से ज्यादा !
कब शादी कब बच्चे होंगे, दिन दिन उम्र हो रही ज्यादा !!

शादी चाहती हर लड़की, पर उम्र लग जाती आत्मनिर्भरता में !
पुराने ढर्रे पे नहीं चलना, ये नक्की कर लेती बचपन में !!
मां दादी को देख देख के, मन में बस जाता है डर !
शादी बाद कहीं मिल न जाये, उसको भी ऐसा ही घर !!

घर घर में सास का रुतबा, बहुओं पर चला करता रहा !
कहीं कम तो कहीं ज्यादा, बहुओं का मन सिसकता रहा !!
यही सिर्फ़ यही कारण है, जिसकी जिम्मेदारी सास की है !
सास सताती है क्यूंकि, उसने सास की परीक्षा पास की है !!

खैर अब ये बदल रहा, ल़डकियां पैरों पर खड़ी है !
मुसीबत यही है कि अब शादी की उम्र निकल रही है !!
जल्द बाज़ी की तो शादियाँ नहीं टिकती है !
तलाक़ की तादाद भी दिन दिन बढ़ते दिखती है !!

वैचारिक मिलान करके, किये जाने चाहिये रिश्ते !
ऐसे ही रिश्ते सम्भवतः ता उम्र तक टिक सकते !!
समाज के कर्णधारों से हर मंच पर की कोशिश !
टिकाऊ रिश्ते जुड़ाने की दिखी न किसी में कशिश !!
नतीजतन सही उम्र में नहीं हो पा रही शादियाँ !
शिक्षा जुटाई अच्छी बात पर अक्ल को बेच खा लिया !!
-आवेश हिंदुस्तानी 02.04.2023

©Ashok Mangal #AaveshVaani 
#JanMannKiBaat 
#Agrawal 
#Agarwal