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जनाजा उठेगा मारा भी मुकम्मल से बस वह हंसी रात हो,

जनाजा उठेगा मारा भी मुकम्मल से बस वह हंसी रात हो, तिरंगे में लिपट कर आउ मैं भी घर बसो सरहदें वाली बात हो..

जनाजा उठेगा मारा भी मुकम्मल से बस वह हंसी रात हो, तिरंगे में लिपट कर आउ मैं भी घर बसो सरहदें वाली बात हो..

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