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मैं पानीयों पे तेरा अक्स ढूँढता हूँ चाहतों में खोय

मैं पानीयों पे तेरा अक्स ढूँढता हूँ
चाहतों में खोया हुआ हक ढूँढता हूँ

गीली मिट्टी पे कदमों के निशां नाप के, 
कितनी दूर चला अपना इशक ढूँढता हूँ

(गीतकार--------पवनजीत सेठी) "मुझमे वो लिखती है"
मैं पानीयों पे तेरा अक्स ढूँढता हूँ
चाहतों में खोया हुआ हक ढूँढता हूँ

गीली मिट्टी पे कदमों के निशां नाप के, 
कितनी दूर चला अपना इशक ढूँढता हूँ

(गीतकार--------पवनजीत सेठी) "मुझमे वो लिखती है"