***बेटियाँ*** अंधकार में धूप की उजली किरण हैं बेटियाँ , सूखे में बारिश की अहसास हैं बेटियाँ , ठंढी में आलाव की अनुभूति हैं बेटियाँ, गर्मी में शीतल बयार हैं बेटियाँ , अंधे को जैसे आंँख का उपहार हैं बेटियाँ , माँ बाप की तो जैसे संसार हैं बेटियाँ, घर-बार का तो श्रृंगार हैं बेटियाँ , पुरुष हैं संसार में तो जिम्मेदार हैं बेटियाँ , बदलती दुनिया में हर चुनौती के लिए तैयार हैं बेटियाँ , त्याग में सीता, तो दुर्गा की अवतार भी हैं बेटियाँ ममता का मानो भंडार ,पर समय पड़े तो जलता हुआ अंगार हैं बेटियाँ, बेटियों को बस्तु समझने वालों सुनो,कभी बेटियों के बाप तो बनो, इस धरती पर साक्षात देवी का अवतार है बेटियाँ। ***कुमार मनोज (नवीन) *** #बेटियाँ #मनोज#