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इन्सान को इन्सान समझने यूँ लगा है ये तो कल का कोई

इन्सान को इन्सान समझने यूँ लगा है
ये तो कल का कोई मेरा टूटा हुआ खिलौना है।
बस अंतर इतना ही है इन खिलौनों में
उसमें जान नहीं बची पर ये खेलने के बाद भी जिंदा है।। मिट्टी का पुतला
इन्सान को इन्सान समझने यूँ लगा है
ये तो कल का कोई मेरा टूटा हुआ खिलौना है।
बस अंतर इतना ही है इन खिलौनों में
उसमें जान नहीं बची पर ये खेलने के बाद भी जिंदा है।। मिट्टी का पुतला

मिट्टी का पुतला