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White बड़ी फ़ुर्सत से हमने ख़्वाबों का घर सजाया था फ़

White बड़ी फ़ुर्सत से हमने ख़्वाबों का घर सजाया था 
फ़िर एक रोज़ किसी ने उसमें एक चराग़ जलाया था

अभी रोशन हुए जुम्मा जुम्मा चार रोज़ ही हुए थे 
फ़िर एक शाम किसी ने पूरे घर को दफ़नाया था 

मैं तो कहता हूँ कब तक मातम मनाना उस हादसे का
कमल तुमने ही तो उसे अपने घर का ख़ुदा बनाया था

क़सूर उसका भी नहीं था उस घर को गिराने में 
ख़ुदा कब किसी एक घर का होके रह पाया था

©Kamal Kant #Sad_shayri #Shayari #shayaris #Broken #alone #thought  shayari sad
White बड़ी फ़ुर्सत से हमने ख़्वाबों का घर सजाया था 
फ़िर एक रोज़ किसी ने उसमें एक चराग़ जलाया था

अभी रोशन हुए जुम्मा जुम्मा चार रोज़ ही हुए थे 
फ़िर एक शाम किसी ने पूरे घर को दफ़नाया था 

मैं तो कहता हूँ कब तक मातम मनाना उस हादसे का
कमल तुमने ही तो उसे अपने घर का ख़ुदा बनाया था

क़सूर उसका भी नहीं था उस घर को गिराने में 
ख़ुदा कब किसी एक घर का होके रह पाया था

©Kamal Kant #Sad_shayri #Shayari #shayaris #Broken #alone #thought  shayari sad
rjkamal3243

Kamal Kant

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