White बड़ी फ़ुर्सत से हमने ख़्वाबों का घर सजाया था फ़िर एक रोज़ किसी ने उसमें एक चराग़ जलाया था अभी रोशन हुए जुम्मा जुम्मा चार रोज़ ही हुए थे फ़िर एक शाम किसी ने पूरे घर को दफ़नाया था मैं तो कहता हूँ कब तक मातम मनाना उस हादसे का कमल तुमने ही तो उसे अपने घर का ख़ुदा बनाया था क़सूर उसका भी नहीं था उस घर को गिराने में ख़ुदा कब किसी एक घर का होके रह पाया था ©Kamal Kant #Sad_shayri #Shayari #shayaris #Broken #alone #thought shayari sad