फुर्सत जो मिले तो मुझे पढ़ना जरूर मैं कांच की तरह टूटा और बिखरा नहीं हूं मैं आज भी तुम्हारे लिए पत्थर की तरह ही हूं जो ना तो बदला और ना ही औरों के लिए पिघला (Arpit JHA) #Mujhe_padhna_jarur