सँभल जाओ वरद - पुत्रों, अभी भी शान बाकी है। कलम को यूँ नहीं दिनकर कभी गिरवी रखा करते।अरुण शुक्ल अर्जुन प्रयागराज (पूर्णतः मौलिक स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित) ©अरुण शुक्ल अर्जुन #sarkarikavi