तोहफा तेरे इश्क का मिल गया तुझे अजनबी जब सफर में इक मिल गया तुझे इश्क़ में तू सही वो सही गलत कोई नहीं ले तेरे करतूत का फल मिल गया तुझे उसे बस ये लगा कोई मिल गया तुझे तू सोचता था फरिश्ता मिल गया तुझे महरूम तेरे इश्क़ से रखा गया तुझे तू सोचता था सहारा मिल गया तुझे महबूब रूठा है तो मान भी जाएगा ले जीने का झूठा दिलासा मिल गया तुझे महबूब के लिए तू जान ना देना शिव संभालने को तोहफे में धोखा मिल गया तुझे इश्क़ में अपनी जान ना देना..............