आजाद हुए हम, जब बहा खून लाखों का। आजाद हुए हम, जब झेला दर्द सलाखों का। कौन भूलेगा वो दिन, जब डायर ने गोलियां चलाई थी। सैंकड़ों लोग थे उस बाग में, जलियांवाला बाग में कई मौतें हुई। बलिदान उनका कैसे भूले हम, जिनकी वजह से आजादी हमे मिली। अगर ना होते ये सैनानी उस पल, हम झेल रहे होते गुलामी अब भी। जलियांवाला बाग़ के अमर शहीदों को, नमन करता है ये कविबंधु शुभम्। उनके सम्मान में दो मिनट का मौन रख, करो काम ताकि देश चले प्रगति पथ। ©Shubham36 #jaliyawalabagh #Massacre #patriotism #Freedom