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वो इश्क है मेरी तो मेरी बाहों में हो जरूरी तो नहीं

वो इश्क है मेरी तो मेरी बाहों में हो जरूरी तो नहीं, 
मैंने खुद उसे चाहा था कोई मजबूरी तो नहीं। 
वो खुश है गर अपने आशियाने में तो उसे रहने दो, 
क्या हुआ जो मुक्कमल नहीं मैं, पर वो अधूरी तो नहीं। वो इश्क है मेरी तो मेरी बाहों में हो जरूरी तो नहीं......
वो इश्क है मेरी तो मेरी बाहों में हो जरूरी तो नहीं, 
मैंने खुद उसे चाहा था कोई मजबूरी तो नहीं। 
वो खुश है गर अपने आशियाने में तो उसे रहने दो, 
क्या हुआ जो मुक्कमल नहीं मैं, पर वो अधूरी तो नहीं। वो इश्क है मेरी तो मेरी बाहों में हो जरूरी तो नहीं......