मतलबी इस दुनियां में क्या कोइ सच्चा है आज़ बेरुखी सी जिन्दगी में क्या कोइ बच्चा भी है न रिश्तों का मान हैं न बड़ो का सम्मान हैं इंसानियत तो मानो खो सी गई हैवानियत देखो बड़ी हो गई वफ़ा की बाते करते हुए बेवफाई हर कोई कर रहा बात सच की करतें हुए झूठ का चोला पहनें फीर रहा न कोइ मिठास है, न ही कोई साज है दिखावटी इस दुनियां में हर कोई नाराज़ हैं न जाने क्यों खुद को सबसे जुदा कहते हैं हर शख्स फिर नकाब के पीछे क्यों रहते है विश्वाश खुद किसी पर करतें नहीं और भरोसे की बाते करते हैं मतलबी इस दुनियां में क्या कोई सच्चा भीं है अच्छाई का ढोंग तो सब करतें है क्या कोई अच्छा भीं हैं 🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾 ©मित्रों #Morningvibes hindi poetry poetry in hindi poetry metaphysical poetry poetry quotes