इश्क़ का सुरूर जो एक बार चढ़ जाएँ… महबूब के अलावा तब कौन नज़र आएँ… मसरफ़ बिगड़ जाते है दुनिया के तमाम… लगी है जो तलब निगाहों को कैसे बुझाएँ… आलम बेकरारी के होने लगे है दिल में… तड़प अपनी दुनिया से हम कैसे छुपाएँ… नशा हो गया मेरी रूह पर तेरी सादगी का… करवट ले रही हैं ख़्वाब बनकर तमन्नाएँ… लफ़्ज़ों की दरकार क्या नज़रों से बोल दो… अहल-ए-दर्द-ए-दिल बस तुम्हीं से बताएँ… मिटा देना फासलें सरहद के है जो दरम्यान… मोहब्बत की दुनिया में आशियाना बनाएँ… सुरुर इश्क़ का एक दवा है और दर्द भी… सुकून मिलता है उसे जो इसका साथ निभाएँ… ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1102 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।