कुछ टूटता सा जा रहा है.... अनजान हूं जिससे... खंजर कोई जैसे चुभता सा जा रहा है... ये किस मोड़ पर आ गई हूं मैं... कि सब कुछ छूटता सा जा रहा है... फिर उठने लगी है टीस कोई दिल में... फिर आंखो से बहता सैलाब सा जा रहा है... हो गया है कुछ धुंधला - धुंधला सा.... जीवन ये किन दुविधाओं से घिरा सा जा रहा है..... कुछ भूल रहा है दिमाग आजकल.... फिर अचानक से कोई याद आता सा जा रहा है.... कहां रखलूं मैं छुपा कर के खुद को.... कोई बादल काला गमों का फिर से मंडराता सा जा रहा है.... ©rekha charan #SAD #alone #boring #WorldEmojiDay2021