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मैंने पंद्रह साल कि रातें यूं ही तन्हाई मे तुझे या

मैंने पंद्रह साल कि रातें यूं ही तन्हाई मे तुझे याद करते करते बिता दिये .बस अब बहुत हुआ अब नही .में तेरे जिस्म से बनती हुई तस्वीर से अब तन्हाई नही काट सकता मुझे पता है अगर तेरी याद से बाहर निकला तो में बिखर सा जाऊंगा .तेरे हाथों मे लगी मेहंदी कि खुशबू अब भी हवाओं से होते हुये मेरे कमरे मे दाखिल हो जाती है और फिर एक बार मुझे तेरी याद मे तडपता हुआ छोड़ जाती है .बाहर गली मे बजते हुये हर पायल कि आवाज सुन कर मे दौड़ कर खिड़की पर चला आता हूं मगर तुम्हें ना पाकर फिर दिल थाम कर वही बैठ जाता हूं बस अब नही होता मुझसे. तेरी बाहों मे लेट कर कविता पढ़ने कि ख्वाहिश अधूरी ही रह गई है मैंने बंद कमरे का दरवाजा खोल भी दिया और हवाओं ने उन सारी तन्हाई पर कब्जा कर लिया और में तुम्हारी याद से आजाद में भी खुश हूं इस आजादी से जैसे बरसों बाद कोई गुलाम कैद से आजाद हुआ हो मगर न जाने क्य ऐसा लग रहा है तेरी याद अब भी कहीं न कहीं मेरे अंदर कब्जा किये हुये है बस अब बहुत हुआ सुरज निकलने से पहले मुझे आजाद कर दो अपनी यादों से में पंद्रह साल घुट घुट कर जीता रहा लेकिन अब बस में आजाद होना चाहता हूं मुझे आजाद कर दो क्य न मुझे मरना ही क्य न पड़े ,,,
असहब खान पंद्रह साल....
मैंने पंद्रह साल कि रातें यूं ही तन्हाई मे तुझे याद करते करते बिता दिये .बस अब बहुत हुआ अब नही .में तेरे जिस्म से बनती हुई तस्वीर से अब तन्हाई नही काट सकता मुझे पता है अगर तेरी याद से बाहर निकला तो में बिखर सा जाऊंगा .तेरे हाथों मे लगी मेहंदी कि खुशबू अब भी हवाओं से होते हुये मेरे कमरे मे दाखिल हो जाती है और फिर एक बार मुझे तेरी याद मे तडपता हुआ छोड़ जाती है .बाहर गली मे बजते हुये हर पायल कि आवाज सुन कर मे दौड़ कर खिड़की पर चला आता हूं मगर तुम्हें ना पाकर फिर दिल थाम कर वही बैठ जाता हूं बस अब नही होता मुझसे. तेरी बाहों मे लेट कर कविता पढ़ने कि ख्वाहिश अधूरी ही रह गई है मैंने बंद कमरे का दरवाजा खोल भी दिया और हवाओं ने उन सारी तन्हाई पर कब्जा कर लिया और में तुम्हारी याद से आजाद में भी खुश हूं इस आजादी से जैसे बरसों बाद कोई गुलाम कैद से आजाद हुआ हो मगर न जाने क्य ऐसा लग रहा है तेरी याद अब भी कहीं न कहीं मेरे अंदर कब्जा किये हुये है बस अब बहुत हुआ सुरज निकलने से पहले मुझे आजाद कर दो अपनी यादों से में पंद्रह साल घुट घुट कर जीता रहा लेकिन अब बस में आजाद होना चाहता हूं मुझे आजाद कर दो क्य न मुझे मरना ही क्य न पड़े ,,,
असहब खान पंद्रह साल....
ashabkhan1565

Ashab Khan

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