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पार्ट -2 1 जुलाई का दिन था मैं अपने सभी दोस्तों स

पार्ट -2
1 जुलाई  का दिन था मैं अपने सभी दोस्तों से मिला पर नजर उसी को ढुंढ रही थी मगर वो कहीं दिख ही नही रही थी मैंने उसकी सहेली से पूछा कि बाती  क्यों नही आई तो उसने बताया की उसके पापा के साथ चली गयी वो अब ,पहले यहाँ पर अपनी नानी के यहाँ रहती थी । जिनका देहांत हो गया पिछले महीने, मैं उस दिन उदास था और कई दिन तक रहा जब क्लास चार का रिजल्ट  मिला तो मै क्लास मे प्रथम आया था और वो सेकंड, किसी को विश्वास नही हो रहा था और मेरे दोस्त मुझे ताने दे रहे थे हाँ उस दिन एक चीज का पता चला की वो थी ही ऐसी जो दुसरों के लिए जीती थी उस दिन के बाद मै  कभी पीछे सीट पर नही बैठा, क्युकी मैं चाहता था कि उसकी मेहनत जाया ना जाए  तभी उसकी दुसरी सहेली ने उसकी एक चिट्ठी दी उसमे लिखा था.दीपक. तुम बहुत अच्छे हो तुमने मुझे एक अच्छा दोस्त दिया जिसने मुझे हंसना सिखाया, मुझे हिंदी के गाने और चुटकले सिखाये, तुम्हारा शुक्रिया.दीपक  पता नही अब मै कब मिलूँ तुमसे पर यार एक चीज याद रखना की.दीपक और बाती का साथ सिर्फ इतना ही होता है.बाती जमाने के सामने दीपक को रोशन कर देती है उसके बाद स्वयं जल जाती है दादी अक्सर ये बात बताती हैं
तुम्हारी दोस्त "बाती ठाकुर"
उस दिन मेरे पास सिर्फ तीन चीजे थी एक अंग्रेजी वाले पन्ने पर जेल पेन से लिखी और उसके आँसू के बूंदो से भीगी उसकी चिट्ठी , दूसरा मेरी और उसकी वजीफा वाली फोटो से बनी फोटो फ्रेम और उसके साथ  बीती यादें..... 
......... #जलज राठौर पार्ट -2
1 जुलाई  का दिन था मैं अपने सभी दोस्तों से मिला पर नजर उसी को ढुंढ रही थी मगर वो कहीं दिख ही नही रही थी मैंने उसकी सहेली से पूछा कि बाती  क्यों नही आई तो उसने बताया की उसके पापा के साथ चली गयी वो अब ,पहले यहाँ पर अपनी नानी के यहाँ रहती थी । जिनका देहांत हो गया पिछले महीने, मैं उस दिन उदास था और कई दिन तक रहा जब क्लास चार का रिजल्ट  मिला तो मै क्लास मे प्रथम आया था और वो सेकंड, किसी को विश्वास नही हो रहा था और मेरे दोस्त मुझे ताने दे रहे थे हाँ उस दिन एक चीज का पता चला की वो थी ही ऐसी जो दुसरों के लिए जीती थी उस दिन के बाद मै  कभी पीछे सीट पर नही बैठा, क्युकी मैं चाहता था कि उसकी मेहनत जाया ना जाए  तभी उसकी दुसरी सहेली ने उसकी एक चिट्ठी दी उसमे लिखा था.दीपक. तुम बहुत अच्छे हो तुमने मुझे एक अच्छा दोस्त दिया जिसने मुझे हंसना सिखाया, मुझे हिंदी के गाने और चुटकले सिखाये, तुम्हारा शुक्रिया.दीपक  पता नही अब मै कब मिलूँ तुमसे पर यार एक चीज याद रखना की.दीपक और बाती का साथ सिर्फ इतना ही होता है.बाती जमाने के सामने दीपक को रोशन कर देती है उसके बाद स्वयं जल जाती है दादी अक्सर ये बात बताती हैं
तुम्हारी दोस्त "बाती ठाकुर"
उस दिन मेरे पास सिर्फ तीन चीजे थी एक अंग्रेजी वाले पन्ने पर जेल पेन से लिखी और उसके आँसू के बूंदो से भीगी उसकी चिट्ठी , दूसरा मेरी और उसकी वजीफा वाली फोटो से बनी फोटो फ्रेम और उसके साथ  बीती यादें..... 
......... #जलज राठौर
पार्ट -2
1 जुलाई  का दिन था मैं अपने सभी दोस्तों से मिला पर नजर उसी को ढुंढ रही थी मगर वो कहीं दिख ही नही रही थी मैंने उसकी सहेली से पूछा कि बाती  क्यों नही आई तो उसने बताया की उसके पापा के साथ चली गयी वो अब ,पहले यहाँ पर अपनी नानी के यहाँ रहती थी । जिनका देहांत हो गया पिछले महीने, मैं उस दिन उदास था और कई दिन तक रहा जब क्लास चार का रिजल्ट  मिला तो मै क्लास मे प्रथम आया था और वो सेकंड, किसी को विश्वास नही हो रहा था और मेरे दोस्त मुझे ताने दे रहे थे हाँ उस दिन एक चीज का पता चला की वो थी ही ऐसी जो दुसरों के लिए जीती थी उस दिन के बाद मै  कभी पीछे सीट पर नही बैठा, क्युकी मैं चाहता था कि उसकी मेहनत जाया ना जाए  तभी उसकी दुसरी सहेली ने उसकी एक चिट्ठी दी उसमे लिखा था.दीपक. तुम बहुत अच्छे हो तुमने मुझे एक अच्छा दोस्त दिया जिसने मुझे हंसना सिखाया, मुझे हिंदी के गाने और चुटकले सिखाये, तुम्हारा शुक्रिया.दीपक  पता नही अब मै कब मिलूँ तुमसे पर यार एक चीज याद रखना की.दीपक और बाती का साथ सिर्फ इतना ही होता है.बाती जमाने के सामने दीपक को रोशन कर देती है उसके बाद स्वयं जल जाती है दादी अक्सर ये बात बताती हैं
तुम्हारी दोस्त "बाती ठाकुर"
उस दिन मेरे पास सिर्फ तीन चीजे थी एक अंग्रेजी वाले पन्ने पर जेल पेन से लिखी और उसके आँसू के बूंदो से भीगी उसकी चिट्ठी , दूसरा मेरी और उसकी वजीफा वाली फोटो से बनी फोटो फ्रेम और उसके साथ  बीती यादें..... 
......... #जलज राठौर पार्ट -2
1 जुलाई  का दिन था मैं अपने सभी दोस्तों से मिला पर नजर उसी को ढुंढ रही थी मगर वो कहीं दिख ही नही रही थी मैंने उसकी सहेली से पूछा कि बाती  क्यों नही आई तो उसने बताया की उसके पापा के साथ चली गयी वो अब ,पहले यहाँ पर अपनी नानी के यहाँ रहती थी । जिनका देहांत हो गया पिछले महीने, मैं उस दिन उदास था और कई दिन तक रहा जब क्लास चार का रिजल्ट  मिला तो मै क्लास मे प्रथम आया था और वो सेकंड, किसी को विश्वास नही हो रहा था और मेरे दोस्त मुझे ताने दे रहे थे हाँ उस दिन एक चीज का पता चला की वो थी ही ऐसी जो दुसरों के लिए जीती थी उस दिन के बाद मै  कभी पीछे सीट पर नही बैठा, क्युकी मैं चाहता था कि उसकी मेहनत जाया ना जाए  तभी उसकी दुसरी सहेली ने उसकी एक चिट्ठी दी उसमे लिखा था.दीपक. तुम बहुत अच्छे हो तुमने मुझे एक अच्छा दोस्त दिया जिसने मुझे हंसना सिखाया, मुझे हिंदी के गाने और चुटकले सिखाये, तुम्हारा शुक्रिया.दीपक  पता नही अब मै कब मिलूँ तुमसे पर यार एक चीज याद रखना की.दीपक और बाती का साथ सिर्फ इतना ही होता है.बाती जमाने के सामने दीपक को रोशन कर देती है उसके बाद स्वयं जल जाती है दादी अक्सर ये बात बताती हैं
तुम्हारी दोस्त "बाती ठाकुर"
उस दिन मेरे पास सिर्फ तीन चीजे थी एक अंग्रेजी वाले पन्ने पर जेल पेन से लिखी और उसके आँसू के बूंदो से भीगी उसकी चिट्ठी , दूसरा मेरी और उसकी वजीफा वाली फोटो से बनी फोटो फ्रेम और उसके साथ  बीती यादें..... 
......... #जलज राठौर