स्कुले कॉलेज बन्द हैं, भलेही उन्हें खोलना हमारे हाथ में नहीं... मगर कुछ तो हैं, जिन्हें हम भी खोल सकते हैं.. वो ढक्कन क़लम का, वो डायरी जों अकेली है.. वो किताबे जिनपर धुल जमी हैं, वो नोटबुक जों नजाने कहां रखीं हैं.. तो चलो खोलो अपनी अमानत, और कर दो ख़ुद की ज़मानत.. इन चार दिवारी से निकल कर, दिखा दो ज़माने को अपनी ताक़त.. क्योंकि पढ़ेगा इन्डिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया..! ©Devrajsolanki #Motivation #script #foryou #writer #poet #creator #devrajsolanki #India