फिर पूछे अगर कोई हाल इस दिल का तुम मत बोलना, सुनो राज़ तुम ये मत खोलना| हाँ ज़ख्म हैं बहुत सीने में मगर लिबाज़ तुम ये मत खोलना, सुनो राज़ तुम ये मत खोलना| हो अगर बात कोई जुबां ये तुम मत खोलना, सुनो राज़ तुम ये मत खोलना| हैं अगर ख़ामोश कोई वो अल्फाज़ फिर तुम मत बोलना, सुनो राज़ तुम ये मत खोलना| है पास तेरे श्याही कलम और कागज़ तो जज़्बात फिर क्या है बोलना, सुनो राज़ फिर क्या है खोलना ये राज़ फिर क्या खोलना| ©Pyaari Muskan ये राज़ फिर क्या खोलना #darkness