मैंने गाँव छोडा था एक शहर की तलाश मे, अब गाँव आता हूँ तो एक और शहर मिलता है, भगवानों को भूल गए,छोड दी खुदाई, हाँ माना एहसान है तेरा की तूने पेट पाले, पर अस्तित्व छीन लेने की कौन सी कीमत चुकाई ? दब सी गई है गाँव की माटी की खुशबू कहीं, हवाओं से लेकर पानी के बहावों में जहर मिलता है, मिट्टी के घर थे जबतक, रिश्ते थे मजबूत, बात करते थे एक दूसरे से हस कर पत्थर के क्या हुए मकान, इंसान बन गए बुत ।। #myvillage #village #industrialisation #identity #yqbaba #yqdidi #hindipoetry #shayari