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माँ में पूरा ब्रह्मांड समाया,माँने जगत की नींव को

माँ में पूरा ब्रह्मांड समाया,माँने जगत की नींव को बढ़ाया,
सभी देव करते हैं इसकी आराधना,सबसे ऊंचा इसे बताया,
ममता वात्सल्य की परिभाषा हैं,माँ से जुड़ी प्रेम की आशा हैं,
हास्य रस में आँखमिचौली खेलें,बाल मन को मोहित कर दे,
वीर रस रौद्र रूप प्रकट कर,नारी के सभी रूपों को स्पष्ट कर दे,
अविरल बहती धारा स्नेह हैं इसका,निस्वार्थ ही प्यार उड़ेले हैं,
खुद के अंग से सींचे हैं,हम सब इसकी बगिया के बगीचे हैं,
माँ से प्रथम अक्षर का ज्ञान पाया ,बिना माँ सम्पूर्ण विश्व तिमिर में समाया। 🏆 " ""कोलेब  प्रतियोगिता संख्या  _ 2
विषय __ "माँ "
6 से 8 पंक्तियों में रचना लिखें

यह सप्ताहिक प्रतियोगिता है।

समय सीमा रविवार रात्रि 12:00 बजे तक
माँ में पूरा ब्रह्मांड समाया,माँने जगत की नींव को बढ़ाया,
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ममता वात्सल्य की परिभाषा हैं,माँ से जुड़ी प्रेम की आशा हैं,
हास्य रस में आँखमिचौली खेलें,बाल मन को मोहित कर दे,
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खुद के अंग से सींचे हैं,हम सब इसकी बगिया के बगीचे हैं,
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