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अनाथ कौ नाम सनाथ भयौ, जब दर्शन पाये बिहारी के । व

अनाथ कौ नाम सनाथ भयौ, 
जब दर्शन पाये बिहारी के ।
वा रूप की छ्वी कु निरखत ही ,
चित रम गयौ चरण मुरारी के ।।
मेरे पाप मिटे सब ताप मिटे,
 जब जाप  जपे भयहारी के ।
'गोपाल' की छोटी सी विनती यही,
अब दर्शन हों संग भानु दुलारी के ।।

©Jay gopal Sharma #ShriKrishna #radharani
अनाथ कौ नाम सनाथ भयौ, 
जब दर्शन पाये बिहारी के ।
वा रूप की छ्वी कु निरखत ही ,
चित रम गयौ चरण मुरारी के ।।
मेरे पाप मिटे सब ताप मिटे,
 जब जाप  जपे भयहारी के ।
'गोपाल' की छोटी सी विनती यही,
अब दर्शन हों संग भानु दुलारी के ।।

©Jay gopal Sharma #ShriKrishna #radharani