जनहित की रामायण - 46 ये किस प्रकार के नशे में हम जी रहे है ? कभी सुशांत कभी तालेबानी खबरें पी रहे है ! क्या हमें देशवासियों की फिक्र ही नहीं, क्यूँ मूल जरूरतों को तवज्जों दे नहीं रहे हैं !! न ठीक से काम, न काम का ठीक दाम, महिला की सुरक्षा का ना कोई इन्तजाम ! नेता अफसर के भरे, जन का पेट खाली, पीने के पानी का भी चुकाना पड़ता दाम !! अरबों के शाही ठाठ में जीवन जीयें जो नेता, जनता को पीने का पानी भी वो मुफ्त न देता ! चुनावों में चेले चपाटों पर खर्च करते अपार, फिर अपराध के दलदल में उन्हें धकेल देता !! युवा पीढ़ी उद्धवस्त करने का चल निकला रिवाज़, सोलह से कम उम्र के, कातिल उभर रहे आज ! उच्च शिक्षित सीवेज सफाईकर्मी बनने को तैयार, ऐसे माहौल पर किसी को नहीं हो सकता नाज़ !! गलत दिशा में चलने से रुकने के, दीखे न आसार, बिकाऊ चैनलों के रहते, ये लगता भी नहीं आसान ! हर चीज़ जो परोसी जाती जन जन को आज, उसमें झूठ और स्वार्थ कूट कूट कर भरा है श्रीमान !! - आवेश हिन्दुस्तानी 15.09.2021 ©Ashok Mangal #JanhitKiRamayan #AaveshVaani #KhabronKiKhabar #peace