अवनि पर बन कर फुहार, अम्बर से गिरती अश्रुधार। प्राची के प्रांगण से उदय, मार्तण्ड करता है गुहार, अम्बर से गिरती अश्रुधार। सागर में सब कुछ बह गया, केवल एक घाव रह गया, मुझको भी लेने दे निहार, अम्बर से गिरती अश्रुधार। जीवन प्रसंग विशेष रहा, एक प्रेम स्वप्न अवशेष रहा, जीवन से चली गई बहार , अम्बर से गिरती अश्रुधार। अम्बर से गिरती अश्रुधार