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इतने सवाल है कि,जवाब कैसे दे... अंधे के हाथ मॆं क़

इतने सवाल है कि,जवाब कैसे दे...
अंधे के हाथ मॆं क़िताब कैसे दे..।

मै नशे के खिलाफ़ नहीं हूँ जरा भी...
लोग बंदर है फिर शराब कैसे दे..।

मिरा वजूद दायरे मॆं नहीं आता...
कुछ सोचिए तुम को हिसाब कैसे दे..।

उसने हिफ़ाज़त की,बात बराबर है...
काँटे कहने लगे गुलाब कैसॆ दे..।

बड़ी शिद्दत से रुख़ पर दरिया उतरा...
ये प्यास आँखों के चिनाब कैसे दे..।

          - ख़ब्तुल
      संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 सोचिए
इतने सवाल है कि,जवाब कैसे दे...
अंधे के हाथ मॆं क़िताब कैसे दे..।

मै नशे के खिलाफ़ नहीं हूँ जरा भी...
लोग बंदर है फिर शराब कैसे दे..।

मिरा वजूद दायरे मॆं नहीं आता...
कुछ सोचिए तुम को हिसाब कैसे दे..।

उसने हिफ़ाज़त की,बात बराबर है...
काँटे कहने लगे गुलाब कैसॆ दे..।

बड़ी शिद्दत से रुख़ पर दरिया उतरा...
ये प्यास आँखों के चिनाब कैसे दे..।

          - ख़ब्तुल
      संदीप बडवाईक

©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 सोचिए