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जब मन में उमड़ रही विचारों की लहरों से ऊब जाता हूं

जब मन में उमड़ रही विचारों की लहरों से ऊब जाता हूं या कहुँ सांसारिक थकन ज़ेहन  में रम जाती है ,तब मैं किताब उठा लेता हूं । किताब उठाकर खुद को हल्का महसूस करता हूं ,लगता है जेठ की दुपहरी में एक भारी बोझा उतारकर किसी पेड़ की छांव में बैठा हूं । पन्ने दर पन्ने पलटने पर खुद की भीतरी यात्रा पर होता हूं जो अलग अलग तरीके से स्वयं से रुबरु होता रहता हूं ।

©Dr.Govind Hersal #reading #kitaabein #ManavKaul #newnovel #Padho
जब मन में उमड़ रही विचारों की लहरों से ऊब जाता हूं या कहुँ सांसारिक थकन ज़ेहन  में रम जाती है ,तब मैं किताब उठा लेता हूं । किताब उठाकर खुद को हल्का महसूस करता हूं ,लगता है जेठ की दुपहरी में एक भारी बोझा उतारकर किसी पेड़ की छांव में बैठा हूं । पन्ने दर पन्ने पलटने पर खुद की भीतरी यात्रा पर होता हूं जो अलग अलग तरीके से स्वयं से रुबरु होता रहता हूं ।

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