शहर आया तो क्या हुआ गाँव को तो भूलता नहीं हूँ खेत की फसल, बरगद की छांव को तो भूलता नहीं हूँ माँ- पिताजी के छू कर आया था वो पाँव तो भूलता नहीं हूँ जिसकी पलकों में मेरा इंतज़ार लिखा है उस गोरी का भी नाम मैं भूलता नहीं हूँ...!!! ©Vivek # गोरी का नाम # गाँव # माँ पिताजी के पाँव