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इश्क़ तेरा आज भी मेरी रगों में बहता है, लाखों की भी

इश्क़ तेरा आज भी मेरी रगों में बहता है,
लाखों की भीड़ में दिल अब तन्हा रहता है
आंगन भरा पड़ा है उन सूखे पातों से,
जो सींचे थे हमने नेह के नातों से
सूखे पड़े आंगन में बहार बनकर आओ तुम,
कही किसी मोड़ पड़ फिर से मिल जाओ तुम।

"अधरों में ही रुकी रही जो बात तुम्हे बतानी थी,
इश्क़ हमारा था वो जिसकी दुनिया दीवानी थी"

'विकल्प' #vikalp
#isq
इश्क़ तेरा आज भी मेरी रगों में बहता है,
लाखों की भीड़ में दिल अब तन्हा रहता है
आंगन भरा पड़ा है उन सूखे पातों से,
जो सींचे थे हमने नेह के नातों से
सूखे पड़े आंगन में बहार बनकर आओ तुम,
कही किसी मोड़ पड़ फिर से मिल जाओ तुम।

"अधरों में ही रुकी रही जो बात तुम्हे बतानी थी,
इश्क़ हमारा था वो जिसकी दुनिया दीवानी थी"

'विकल्प' #vikalp
#isq