आज मैंने हवाओं को गले से लगाने की बात कहीं है जो अपने रूठे हुए है उनको मनाने की बात कही है कोई भटक न जायें इस भीड़ भाड़ दुनियाँ में इसलिए मैंने भटके हुए राही को रास्ता दिखाने की बात कही है आज फिर से उनका एक पैगाम आया है उस पैगाम में उन्होंने अपना चेहरा दिखाने की बात कही है पैगाम में चेहरा तो है पर चेहरे में अपना दर्द दिखाने की बात कही है आज मैंने हवाओं को गले से लगाने की बात कहीं है जो अपने रूठे हुये है उनको मनाने की बात कही है उनकी भरी महफिल को रौनक बनाकर अपने दिल का दर्द बताने की बात कहीं है तारीफ करके कुछ लव्जो में उसने मेरी खुद को वफा और मुझे बेवफा बताने की बात कहीं है आज मैंने हवाओं को गले से लगाने की बात कही है जो अपने रूठे हुये है उनको मनाने की बात कही है