हम एक बार में एक ही इंसान होते है या तो एकदम ईमानदार या एकदम भ्रष्ट , या एकदम पवित्र या एकदम पापी , या एकदम दयावान या एकदम निष्ठुर और क्रूर, जब अकेले में हम स्वयं के विषय में सोचते है तो इस बात पर यह निर्भर करता है कि हम इंसानों को जज करने में शिक्षा कहां से पाई है अच्छे बुरे का मीटर हमारे मन में कहां से इंस्टाल हुआ है इसी पैरा मीटर के मुताबिक हम दायरा बनाते है और सर्टिफिकेट बांटने लगते है क्या सही है और क्या गलत , मैं कभी भी किसी को जज नही करता क्युकी मैं ये बात जानता हूं कि जज करने की इस प्रक्रिया में आपकी सोच यह साबित कर देती है कि आप एक संकीर्ण मानसिकता के शिकार है मेरे लिए कुछ सही नही है कुछ गलत भी है कुछ पुण्य और पाप नही है बल्कि जो है वो है परिस्थिती , समय ,जरूरत और परिस्थिती की मांग है @shakti singh ©me nd my solitude my thoughts is my choice always #drowning