एक ज़रा से आशु ने खोल दिए हमारे गम के सारे राज़, जिन्हे न जाने हमने कब से अपनी पलकों में छुपाये रखे थे रात के भीगे आंचल तले, छोटे छोटे हज़ारो गम अपना लिए बैठे थे.. ख्वाहिशो की उमंगो तले सारी, आरजू दबाये बैठे थे.. दिल के भारी किवाड़ों के परली तरफ कई चेहरे है जाने से पहचाने से, कई चेहरे है अनजाने अनजाने से ये कैसा पड़ाव है इस रात का, न चैन है न नींद है.. एक ज़रा से आँशु ने.. #रातकाअफ़साना #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #सुचितपाण्डेय #suchitapandey