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White एक कसाई की दुकान पर मुर्गा रो रहा था वहीं ब

White एक कसाई की दुकान पर मुर्गा रो रहा था 
वहीं बगल में ..........................
भंगार के दुकान पर टीन हस रहा था 
जा तो दोनो रहे थे कटने के लिए 
बस यही एक सामान्य सा फर्क था 
एक रो रहा था एक हस रहा था 
इसपर दोनो के बगल में खाट पर पड़े 
दर्द से कराह रहे एक बुजुर्ग ने बोला 
देखो जिन्हे पता है ...........
उनकी कीमत अब क्या है
वे खत्म होने के मुहाने पर भी हंस रहे हैं 
हमारे जैसे जिन्हे पता नहीं है 
अब हमारी कीमत क्या है 
वे जाते जाते भी रो रहे हैं 
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

©AJAY NAYAK
  #कविता 
#किमत 
एक कसाई की दुकान पर मुर्गा रो रहा था 
वहीं बगल में ..........................
भंगार के दुकान पर टीन हस रहा था 
जा तो दोनो रहे थे कटने के लिए 
बस यही एक सामान्य सा फर्क था 
एक रो रहा था एक हस रहा था
ajaynayak1166

AJAY NAYAK

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कविता किमत एक कसाई की दुकान पर मुर्गा रो रहा था वहीं बगल में .......................... भंगार के दुकान पर टीन हस रहा था जा तो दोनो रहे थे कटने के लिए बस यही एक सामान्य सा फर्क था एक रो रहा था एक हस रहा था

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