गुरूर मुहब्बत का नहीं नफरत का है ए मिर्ज़ा यूं महफ़िलों में छलकते जाम किसी की ख्वाहिश नहीं हुआ करते... M.Mirza #Guroor mohabbat ka # Mirza ke alfaaz #shadesoflife