समय एक सा रहता नहीं (अनुशीर्षक में पढ़ें) समय एक सा रहता नहीं कभी सोचती हूँ मैं, क्यूँ होता है ऐसा जब भी ज़िंदगी लगती है बेहतर होने को होता है कुछ सही कोई ना कोई परेशानी कर देती है उसे बदतर बहुत हिम्मत से तो पार करते हैं इक दरिया