उसे देखने के लिए कुछ इस हद तक परेशान रहा करता हूं, जैसे चकोर हूं मैं दिन में रात होने का इंतजार करा करता हूं, इक झलक बस यूं ही दिख जाय उसके बदले में मैं सजदे में उसके रोज की नमाज़ अदा करता हूं, आशिक़ हूं मैं उसका न जाने कब से उस तक अपनी बात पहुंचने के लिए शब्दों का जाल बुना करता हूं।। ©Mauryavanshi Veer #A #Mauryavanshi #Veeer #roseday